परिवर्तन भय की जननी है और निडरता की भी ।
जितनी आग रहेगी लगन की मन में उतनी ही ज्यादा निडरता भय पर हावी होती जायेगी । परिवर्तन हववके बहाव को बूझते अपनी चाल में स्थिरता व तेजी लाती जायेगी ।
परिवर्तन और सूर्योदय किसी के रोके न रुका है और न रुकेगा । समझदार व्यक्ति परिवर्तन का स्वागत खुले दिल से करता है ।
जितनी आग रहेगी लगन की मन में उतनी ही ज्यादा निडरता भय पर हावी होती जायेगी । परिवर्तन हववके बहाव को बूझते अपनी चाल में स्थिरता व तेजी लाती जायेगी ।
परिवर्तन और सूर्योदय किसी के रोके न रुका है और न रुकेगा । समझदार व्यक्ति परिवर्तन का स्वागत खुले दिल से करता है ।