-इंदु बाला सिंह
उम्र - बीस वर्ष
एक कहानी लेखन विद्यालय था ....शायद पता था .....कहानी लेखन महाविद्यालय अम्बाला छावनी ....कहानी लिखना .......लेख लिखना भी वे लोग सिखाते थे ...पोस्टल कोर्स था ..........
हम भी विद्यार्थी थे इस विद्यालय के ...
गधे रह गये हम ........
इमानदारी जब बोझ लगने लगे तो .....
कामवाली हटा कर खुद घास निकालना अच्छा लगने लगता है
माली हटा कर ,फावड़ा चला चला कर , पसीना पोंछना भाने लगता है
और
तब सपने आने बंद हो जाते हैं |
No comments:
Post a Comment