Wednesday, September 12, 2018

एक कहानी ...अभी बाकी है

उम्र - छियासठ वर्ष
- इंदु बाला सिंह

बुढापा देखा तो था उसने पर महसूसी न थी वह । इसका फायदा यह हुआ कि वह जी जान से लड़ पायी अपनी समस्याओं से ।

उसने कभी भी न सोंचा था कि वह चल फिर पाने में अवश हो जायेगी ।

और वह आज हतप्रभ है ।



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