Friday,
April 06, 2018
10:36 PM
उचाइयां
छूने की आकांक्षा और स्मार्टफोन ने एकल
परिवार के बच्चों को अपने रक्त सम्बन्धों को पराया बना दिया है |
जीवन साथी तो बस जरूरत का साथी है |
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स्वान्तः
सुखाय में डूबा मन भूल चुका रहता है परिवार की जड़ों को |
एक
दुसरे को देख ...सम्बन्धों की गरिमा की रेत न जाने कब फिसल गयी
है हमारी मुट्ठी से |
भाग्य को दोष
दे हम कायर बन मौन रह जाते हैं |
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अपने मन को
टटोलना एक जोखिम भरा काम है |
हम भेड़चाल सीख
रहे हैं |
हम भीड़ बन रहे
हैं |
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