Sunday, December 4, 2016

My lovely loneliness


Monday, December 05, 2016
8:03 AM
- Indu Bala Singh 


I had cut bushes and made my path alone 
I  did my work silently …..and walked  alone ….. Days , months and years  passed by …..
Now I love loneliness
At present I can see a vast sandy land in front of me ….. showing OASIS
The hot wind is so soothing ….
Now bushes are not seen …….
I walked opposite  to oasis
Because I loved my loneliness

I am maker of my own  lovely  DESTINY .

Friday, September 16, 2016

Say 'good bye '


Indu Bala Singh

Say good bye to toxic person
Forget
That the person may be friend or relative
And never look back .

Sunday, September 11, 2016

कबीर


तिनका कबहुँ ना निन्दिये जो पाँवन तर होय ।
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ।।
हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास ।
सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास ।।

प्रीति की मिठास



' भय बिन होय न प्रीति । ' भय भी बहुत प्रकार के होते हैं । आर्थिक दंड , शारीरिक ( बीमारी या बुढ़ापा ) दंड इत्यादि । वैसे यह सब हारे इंसान का यह भ्रम है । दंड प्रतिशोध और आतंक का जन्मदाता है । प्रीति तो वह बीज है जो धीरे धीरे बढ़ती है फलती फूलती है और अविश्वास के मौसम में कुम्हला जाती है । धीरे धीरे रे मना धीरे धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ।। कुछ लोगों को ज्ञान देर में प्राप्त होता है ।

Wednesday, August 17, 2016

बेटी शब्द कमजोरी का प्रतीक है


बेटी शब्द कमजोरी का प्रतीक है तभी तो खुश होने पर लोग लड़की को  बेटा कहते हैं


रिक्शावाले कहते हैं - जा बेटा घर ।

मां कहती है - जा बेटा , थोड़ा बाजार से चीनी खरीद ला ।

Sunday, August 7, 2016

Right to live with respect




- Indu Bala Singh

Tired & exhausted ......

Suffers a woman
&
Futile is her life .....

Inspite of hard labour and faith on super power

If she does not achieve peace of mind

Pain is unbearable .......

If she does not accept DESTINY

She has to move forward alone with stony face .... live .....with self respect .

Tuesday, August 2, 2016

Typical umbrella



Indu Bala Singh


Health Insurance is an typical umbrella
And you buy it every year
To keep yourself safe in unfavourable condition
But you need someone else
To open it for you .... to keep yourself safe .

Friday, July 29, 2016

JOKER


-Indu Bala Singh


HIRE
then FIRE .....
nice joke
intelligentia is a joker .

Wednesday, July 20, 2016

after my marriage

after my marriage the writer in me .....hibernated .
my son gave me computer .....said .....write whatever you want 
GOD BLESS YOU my son .

Wednesday, July 13, 2016

अजब समाज ..... गजब समाज -1



- इंदु बाला  सिंह

दहेज़ विरोधी लड़की को
मिला  ऐसा लड़का  जिसने  लिया तिलक स्वरूप मात्र  एक सौ एक रूपये
और लड़की को पिता से वसीयत के रूप में पैतृक मकान का एक हिस्सा भी न मिला......
वाह रे जन्मदाता !
अजब समाज .....  गजब समाज । 

Thursday, July 7, 2016

Game with DESTINY



Indu Bala Singh

i played chess with destiny
and
on my sixtieth birth day
we both are in stalemate situation .

Monday, June 20, 2016

life is so short



Indu Bala Singh

parents are old
their advice are out dated ........
why shall i waste my time and money on them .......
why should i remember past
life is so short .

Wednesday, June 15, 2016

Milestone of a self made road


I am a milestone of one of the  self made  road which no body likes to travel ......

I do not know
how I made road in the darkness
I suffered in day ....
sometimes
in night a saw bad dreams and screamed .....
Today
I am alone and aloof 
 waiting for a wanderer  .

Wednesday, May 25, 2016

New energy



Indu Bala Singh

I rewind my memories
and
walk fast .......with new energy .

Wednesday, May 4, 2016

दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai Bachhan

हैं लिखे मधुगीत मैंने
हो खड़े जीवन समर में ।

पृष्ठ - 25 ,' दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai एक दिन महाभारत में मैंने पढ़ा , जो पूर्व की ओर मुंह कर के भोजन करता है उसे आयुष्य मिलता है ; जो पश्चिम की ओर , उसे लक्ष्मी मिलती है ; जो दक्षिण की ओर , उसे कीर्ति और ; और जो उत्तर की ओर , उसे सत्य मिलता है |
पृष्ठ - 10 ' दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai Bachhan


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एक दिन महाभारत में मैंने पढ़ा , जो पूर्व की ओर मुंह कर के भोजन करता है उसे आयुष्य मिलता है ; जो पश्चिम की ओर , उसे लक्ष्मी मिलती है ; जो दक्षिण की ओर , उसे कीर्ति और ; और जो उत्तर की ओर , उसे सत्य मिलता है |
पृष्ठ - 10 ' दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai Bachhan

Wednesday, April 27, 2016

बसेरे से दूर ' by Harivansh Rai Bachhan

reading

' बसेरे से दूर ' by Harivansh Rai Bachhan

every Phd student should read it .
financial problems could not dishearten him in foreign land .
it shows how a man satisfies his thirst for knowledge .
this book will definitely boost our fighting spirit .



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तो फिर हर अड़ंगे का स्वागत ,
जो जिंदगी के चौरस रास्ते को ऊबड़ खाबड़ बना देता है ,
हर ठोकर का  स्वागत , जो कहती है , न बैठो , न खड़े रहो , बस  आगे बढ़ते चलो । 

पृ ० 79 .' बसेरे से दूर ' by Harivansh Rai Bachhan

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' कवियों की होती है बड़ी बदजात , लिखें वे किसी पर , पर करते हैं वे अपनी ही बात । '  


पृ ० 85  .' बसेरे से दूर ' by Harivansh Rai Bachhan



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मैं कितना ही भूलूं , भटकूँ या भरमाऊँ
है एक कहीं मंजिल जो मुझे बुलाती है ,
कितने ही मेरे पांव पड़ें ऊंचे - नीचे
प्रतिपल वह मेरे पास चली आती है |
मुझ पर विधि का अहसान बहुत - बातों का
पर मैं कृतज्ञ उसका इस पर सबसे ज्यादा -
नभ ओले बरसाये , धरती शोले उगले ,
अनवरत समय की चक्की चलती जाती है |
मैं जहां खड़ा था कल उस थल पर आज नहीं ......
पृष्ठ - 216 ' बसेरे से दूर ' Harivansh Rai Bachhan

Sunday, March 6, 2016

Do not beg


-Indu Bala Singh

Teacher smiled ... advised ....
Dear student !
In place of begging marks
Why do you not point out my mistake
And
Say - teacher ! you forgot to give marks in this answer .....
Student was stunned .

Sunday, February 21, 2016

आज मैं भी उसके बराबर


- N.S.



एरोप्लेन की खिड़की से
बाहर झाँका मैं
और
मुँह चिढ़ाया मामू  चाँद को ----
आज मैं भी उसके बराबर था । 

Friday, February 19, 2016

टी ० वी ०


फेसबुक ( न्यूज पेपर ) और ट्रांज़िस्टर से ज्ञान प्राप्त करना ज्यादा बेहतर है ।
टी ० वी ० अगर खुल जाय तो बंद करना मुश्किल हो जाता है ।
अपना पसंदीदा कार्यक्रम तो हम कम्प्यूटर के टी ० वी ० पर भी देख सकते हैं ।
शायद यही कारण है आज नेट और कम्प्यूटर के फैलाव का , वैसे रेडियो ( ट्रांज़िस्टर ) तो सदा बहार है । रेडियो हमें खींच कर अपने सामने नहीं बैठाता ,बल्कि यह हमारे साथ साथ किचेन , स्टडी टेबल , लॉन , सड़क इत्यादि जगहों पर चलता रहता है । 

Tuesday, February 9, 2016

रोटी

रोटी की कीमत युवा व युवतियों को तब मालूम होती है जब वे घर से दूर नौकरी करने जाते हैं |मेस काखाना कम पैसों में मिलता है पर होटल का खाना तो पूछिये इतना मंहगा कि जेब खाली हो जाय | तब याद आती हैं घर की सूखी रोटियां |
सूखी रोटी आलू के चोखा से हम खायें या पनीर की सब्जी से पेट भर जाता है | रोटी तो केवल दूध के साथ बड़े प्यार से बचपन से खाते हैं बच्चे |
हाय रे ! नौकरी 
तूने याद दिला दी बचपन की सूखी रोटियां
मैं लाख भूलना चाहूं
पर
अकेले में मुझे सुस्ताते देख
चुपके से नजानें क्यों लुढ़कती हुयी आ जातीं हैं जेहन में
माँ के हाथ की सूखी रोटियां |

Monday, February 8, 2016

He slept



-Indu Bala Singh

Death proposed him
And
He happily accepted
He was a responsible father
He did his duty very well
So he slept happily .

Friday, February 5, 2016

Head ache maths


- Indu Bala Singh


Dear mathematician ! 
Couldn't you make easy questions ?
A class six student wrote on her book
And forgot .......
The maths teacher was shocked to see the note
On her student's book .

Tuesday, February 2, 2016

life of big cities


- indu bala singh
dream place 
of a small town boy
is a big city
but
in his dream city
he finds
every one is in search of a home .

Monday, February 1, 2016

Daughter is a helper


01 February 2016
22:29



-Indu Bala Singh




No property
No recognition ……………..
You are a daughter …… helper
But
You should not worry
We will give you food and security

Rest is your luck  .

Thursday, January 14, 2016

Warmth of money



- Indu Bala singh


Money is respectful
Keep it with you
See it's beauty
And
Feel it's warmth
Respect will be in your pocket
Relatives and friends will be with you .

Wednesday, January 13, 2016

हरिवंश राय बच्चन - ' नीड़ का निर्माण फिर '

" मैं पेशेवर गद्य-लेखक की कल्पना कर सकता हूं पर पेशेवर कवि की नहीं । " 


हरिवंश राय बच्चन राय बच्चन ( नीड़ का निर्माण फिर )



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मेरी अस्थियों को 
चाहे गंगा की धारा में प्रवाहित कर दो 
चाहे घूरे पर फेंक दो ,
मेरे लिये कोई फर्क नहीं पड़ेगा :
पर तुम्हारे लिये पड़ेगा ।
- हरिवंश राय बच्चन राय बच्चन ( नीड़ का निर्माण फिर )

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' एकांत संगीत ' श्रृंखला में 65 वां
जुये के नीचे गर्दन डाल !
देख सामने बोझी गाड़ी,
देख सामने पंथ पहाड़ी ,
चाह रहा है दूर भागना , होता है बेहाल ?
तेरे पूर्वज भी घबड़ाये ,
घबराये , पर क्या बच पाये
इसमें फंसना ही पड़ता है , यह विचित्र है जाल !
यह गुरु भार उठाना होगा ,
इस पथ से ही जाना होगा ;
तेरी खुशी नाखुशी का है नहीं किसी को ख्याल !
जुये के नीचे गर्दन डाल |
read in ' नीड़ का निर्माण फिर '

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' मेरे अध्ययन कक्ष में तुलसीदास के चित्र के अतिरिक्त एक मात्र चित्र मेरे पिताश्री का है - शीशे से जड़ा , तुलसी के चित्र के साथ रखा | कोई मेरे अध्ययन कक्ष में आये तो मैं दोनों चित्रों का परिचय इस प्रकार देता हूं - ये मेरे पिता , ये मेरे मानस पिता |
बरसों हो गये पिताजी का चित्र एक बार गिर गया था और उसका शीशा चटख गया | मैंने जानबूझ कर वह शीशा नहीं बदलवाया | उस चटख को - क्रैक को - मैं उस घाव के प्रतीक के रूप में देखता हूं जो मैंने उनकी छाती पर दिया था | अपने अपराध को संस्मरण करने से मन पवित्र होता है , ऐसा सही या गलत मैं कहीं समझे हुये हूं | '
' मेरे अध्ययन कक्ष में तुलसीदास के चित्र के अतिरिक्त एक मात्र चित्र मेरे पिताश्री का है - शीशे से जड़ा , तुलसी के चित्र के साथ रखा | कोई मेरे अध्ययन कक्ष में आये तो मैं दोनों चित्रों का परिचय is प्रकार देता हूं - ये मेरे पिता , ये मेरे मानस पिता |
बरसों हो गये पिताजी का चित्र एक बार गिर गया था और उसका शीशा चटख गया | मैंने जानबूझ कर वह शीशा नहीं बदलवाया | उस चटख को - क्रैक को - मैं उस घाव के प्रतीक के रूप में देखता हूं जो मैंने उनकी छाती पर दिया था | अपने अपराध को संस्मरण करने से मन पवित्र होता है , ऐसा सही या गलत मैं कहीं समझे हुये हूं | '

- हरिवंश राय बच्चन ( नीड़ का निर्माण फिर )



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' मानव संबंध बना बनाया नहीं मिलता ।  जो मिलता है  बीज रूप में । फिर उस संबंध को सींचना - सेना  पड़ता है । पिता माता संतान अथवा  भाई बहन के संबंध भी अगर सींचे सेये न जायें तो वे कमजोर और विकार -ग्रस्त हो जाते हैं । '

- हरिवंशराय बच्चन (नीड़  का निर्माण फिर ) 



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‪#‎हरिवंश_राय_बच्चन‬
' आगरा के विनोदी कवि पं ० हृषीकेश चतुर्वेदी ने खेल खेल में एक दिन पत्नी पर लगे इस धर्म के ताले को तोड़ दिया । कहने लगे , धर्म-पुत्र वह है जो तन - जात पुत्र न हो , पर उसे वात्सल्य के कारण पुत्र मान मान लिया गया हो । इसी प्रकार धर्म - बंधु या धर्म - बहन उसे कहते हैं जो अपना असली भाई या बहन न हो।, बल्कि जिसे स्नेह - संबंध से भाई या बहन मान लिया गया हो । इसी तरह धर्म - पत्नी वह है जो अपनी पत्नी न हो , पर उसे किसी संबंध से पत्नी मान लिया गया हो । '


- हरिवंशराय बच्चन (नीड़ का निर्माण फिर )



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' मैं कभी किसी क्लब वगैरह का सदस्य नहीं बना , किसी कला साहित्य संस्था का भी नहीं । अलबत्ता अगर कोई मुझे निमंत्रित करती तो मैं उसमें सहर्ष भाग लेता । संस्थायें किसी न किसी सिद्धांत से बंधती हैं - मैं अपने को किसी सिद्धांत से बांधना नहीं चाहता था । मैं अब भी समझता हूँ कि मुक्त दृष्टि कलाकार की पहली आवश्यकता है । और यह भी कि बौद्धिक विकास और सृजन , समूह में नहीं , एकांत में ही सम्भव है । '

- नीड़ का निर्माण फिर  ( हरिवंश राय बच्चन ) 

Monday, January 11, 2016

Go on resisting


11 January 2016
15:00

-Indu Bala Singh


Dear single daughter !
Resist …… go on resisting  till  your  last  breath
Otherwise  you will  be killed morally
You may  be killed  physically 
Resist on road
Resist  in  home
You are not going  to  get any  help 
As you are surrounded  by male  dominating  men and  women .