Wednesday, May 4, 2016

दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai Bachhan

हैं लिखे मधुगीत मैंने
हो खड़े जीवन समर में ।

पृष्ठ - 25 ,' दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai एक दिन महाभारत में मैंने पढ़ा , जो पूर्व की ओर मुंह कर के भोजन करता है उसे आयुष्य मिलता है ; जो पश्चिम की ओर , उसे लक्ष्मी मिलती है ; जो दक्षिण की ओर , उसे कीर्ति और ; और जो उत्तर की ओर , उसे सत्य मिलता है |
पृष्ठ - 10 ' दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai Bachhan


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एक दिन महाभारत में मैंने पढ़ा , जो पूर्व की ओर मुंह कर के भोजन करता है उसे आयुष्य मिलता है ; जो पश्चिम की ओर , उसे लक्ष्मी मिलती है ; जो दक्षिण की ओर , उसे कीर्ति और ; और जो उत्तर की ओर , उसे सत्य मिलता है |
पृष्ठ - 10 ' दशद्वार से सोपान तक ' Harivansh Rai Bachhan

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