रोटी की कीमत युवा व युवतियों को तब मालूम होती है जब वे घर से दूर नौकरी करने जाते हैं |मेस काखाना कम पैसों में मिलता है पर होटल का खाना तो पूछिये इतना मंहगा कि जेब खाली हो जाय | तब याद आती हैं घर की सूखी रोटियां |
सूखी रोटी आलू के चोखा से हम खायें या पनीर की सब्जी से पेट भर जाता है | रोटी तो केवल दूध के साथ बड़े प्यार से बचपन से खाते हैं बच्चे |
हाय रे ! नौकरी
तूने याद दिला दी बचपन की सूखी रोटियां
मैं लाख भूलना चाहूं
पर
अकेले में मुझे सुस्ताते देख
चुपके से नजानें क्यों लुढ़कती हुयी आ जातीं हैं जेहन में
माँ के हाथ की सूखी रोटियां |
तूने याद दिला दी बचपन की सूखी रोटियां
मैं लाख भूलना चाहूं
पर
अकेले में मुझे सुस्ताते देख
चुपके से नजानें क्यों लुढ़कती हुयी आ जातीं हैं जेहन में
माँ के हाथ की सूखी रोटियां |
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