Friday, February 21, 2014

बढ़ते कदम इन युवकों के

देखो आज के युवकों को
वे नभ को ही छूना चाहें
किन्तु सागर की गहराई
वे कभी नाप न पायें |

ओढ़ कम्बल दौलत मान का
न जानें अस्तित्व तजुर्बा
जैसे हो गृह किसी का
बना हो बिना नींव का |

चाहूं आज  युवक ये जाने
अपनी क्षमता को पहचानें
अपने को सुदृढ़ बना कर
उन्नत शिखर तक पहुंचें |


      नवल सिंह ' क्षत्रिय '

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