Friday, June 21, 2013

Little lovely eyes

Days seem so dark
I don't know why 
But the WILL touches and feels path
Pushes me hard to walk forward
Hope of little lovely eyes
Forces me to balance myself
To move forward .

Friday, May 31, 2013

Born to succed

O almighty !
Thank you for giving me peace of mind
To overcome the howling of hooligans
I  thank you for making me strong
To face the ups and downs of life .

O almighty  !
I am your part and partial
How can I fail in life
I am You
Simply name is different .

O almighty   !
I can feel your presence in truth
I can see you in innocent eyes  of people
Your power smashes black energy around me
And clears my path  to walk forward .

Thursday, May 16, 2013

Gift of God


You made me feel proud
When you were born
O my dear little son !

When you call me... Mom
I feel myself as world's strongest woman
O  Son !You are my   gift of God .

Your presence  brings respect  for me
In the eyes of my neighbour  and  relatives 
And I feel myself a fortunate lady .

I thank  the supernatural power daily
When I go to bed at night 
For his precious gift .

Wednesday, March 20, 2013

उफ्फ ! ये बच्चे ! -- 1

                                          1



टीचर जैसे ही कक्षा के बगल से गुज़री बच्चे उसका नाम ले कर धीरे से बोले .... आ रही है |
आज थोड़ा टीचर टिप टॉप आयी थी | टीचर पैरेंट्स मीटिंग थी |
कक्षा में प्रवेश करते ही समवेत स्वर गूंजा .....गुड मार्निंग टीचर !
.....हैप्पी बर्थडे टीचर !
....सेम टू यू !...टीचर ने मुस्करा कर कहा |
बच्चे बगलें झाँकने लगे |
....अरे भई ! आज तुम्हारा जन्मदिन है मेरा |....टीचर ने मुस्करा कर कहा |


                        2


....ओफ़्फ़ ! कितना हल्ला करते हो तुम लोग ?
....टीचर ! हमारी क्लास अच्छी नहीं लगती ? आप प्रिंसिपल को बोल दीजिए कि मुझे नहीं बनना इस क्लास का क्लास          
  टीचर |
....मना नहीं कर सकती मैं !
....दीजिए हम आप्लिकेसन लिख देते हैं प्रिंसिपल को |

Tuesday, March 19, 2013

विदेश पुकारे


विदेश शब्द में ही सम्मोहन है | दूर की धरती , माहौल , लोग सब कुछ नया | परिवार का एक सदस्य विदेश में हो तो पूछिए मत | बच्चों को तो विदेश ही जाना है उच्च शिक्षा के लिये | वहाँ शिक्षा का स्तर बहुत अच्छा है | कितने मेरे सहपाठी पढ़ रहे हैं वहाँ | एक के पीछे एक विद्यार्थी लगा ही रहता है | सबको वहीं पढ़ने जाना है | विदेशों में पढ़ाई के लिये जानेवाले कम युवा वापस लौटते हैं | यहाँ उनकी पढ़ाई की वो इज्जत नहीं मिल पाती जो उन्हें उसी देश  में मिलती है | आखिर क्यों ? हम अपने देश के शिक्षा संस्थानों का स्तर क्यों नहीं सुधारते ?  क्या ये हमारी युवा प्रतिभा का पलायन नहीं है ?

कविता के प्रति रुझान क्यों नहीं ?

आजकल देख रही हूँ बच्चों में कविता के प्रति रुझान के बराबर है | इसमें मैं विद्यालय को दोषी मानती हूँ | मैंने अपने समय में देखा है मंत्रमुग्ध से रहते थे हम बच्चे हिन्दी कक्षा में | हिन्दी क्या अंग्रेजी की कक्षा भी बांध देती थी हमे | एक ही कविता के विभिन्न अर्थ हो सकते हैं | कविता तो बस रस की गागर है | मैं नयी पीढ़ी के शिक्षकों की शिकायत नहीं कर रही पर उनमें कविता में गहराई तक उतरने की प्रवृति का अभाव तो जरुर है | बस पढ़ाना है तो पढ़ाते हैं शिक्षकगण | भई नंबर तो देना ही पड़ेगा | हाँ ! बच्चा अपने मन से कोई अपने शब्दों में व्याख्या लिख दे किसी पद्यांश की तो यह शिक्षक को बिल्कुल पसन्द नहीं आता | वह बच्चा कक्षा में अजूबा बन जाता है सहपाठियों के लिये | कविता का रसास्वादन ही बालमन में कोमलता भरती है | अब किसे दोष दें ? बच्चों में आज पैसे कमाने के तरीके का कुछ ज्यादा ही ज्ञान है

Tuesday, November 13, 2012

Money



Desire for a lot of money
Kills humanity
Kindles thought of business
And
Simply brings
Money .
But
A lot of money
Where are our dear ones gone ?
We simply get a shock !