Friday, September 16, 2016

Say 'good bye '


Indu Bala Singh

Say good bye to toxic person
Forget
That the person may be friend or relative
And never look back .

Sunday, September 11, 2016

कबीर


तिनका कबहुँ ना निन्दिये जो पाँवन तर होय ।
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय ।।
हाड़ जलै ज्यूं लाकड़ी, केस जलै ज्यूं घास ।
सब तन जलता देखि करि, भया कबीर उदास ।।

प्रीति की मिठास



' भय बिन होय न प्रीति । ' भय भी बहुत प्रकार के होते हैं । आर्थिक दंड , शारीरिक ( बीमारी या बुढ़ापा ) दंड इत्यादि । वैसे यह सब हारे इंसान का यह भ्रम है । दंड प्रतिशोध और आतंक का जन्मदाता है । प्रीति तो वह बीज है जो धीरे धीरे बढ़ती है फलती फूलती है और अविश्वास के मौसम में कुम्हला जाती है । धीरे धीरे रे मना धीरे धीरे सब कुछ होय । माली सींचे सौ घड़ा, ॠतु आए फल होय ।। कुछ लोगों को ज्ञान देर में प्राप्त होता है ।