Wednesday, January 7, 2015

छात्र का उलाहना


21 November 2014
20:36
-इंदु बाला सिंह

स्कूल के दिनों में फणीश्वर नाथ रेणु की पत्नी का एक चित्र दिखा मुझे धर्मयुग में और दुःख हुआ | पढी थी परती परिलोक कथा | साहित्यकार मतलब कबीर तुलसी जैसे लोग दिमाग में था बचपन में | पढ़ती थी फणीश्वर नाथ रेणु पटना में कहीं रहते हैं | मिल गया उनका पता किसी पत्रिका में | बस लिख मारा खत उन्हें | आज याद करती हूं तो स्मित मुस्कान आती है चेहरे पर | क्या निश्चिन्त बचपन था आज नहीं दिखता मुझे कहीं | खत का मूल याद है मुझे - आप शहर में रहते हैं और आपकी पत्नी कितने कष्ट से रहती है गांव में |

उत्तर का थोड़े न इन्तजार था | बस उलाहना थी एक साहित्यकार के प्रति | आया भी नहीं उत्तर क्योंकि मैंने नाम और पता थोड़े न लिखा था भेजनेवाले का |

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