21
November 2014
20:36
-इंदु बाला
सिंह
स्कूल
के दिनों में फणीश्वर नाथ रेणु की पत्नी
का एक चित्र दिखा मुझे धर्मयुग में और दुःख हुआ | पढी थी परती परिलोक कथा | साहित्यकार
मतलब कबीर तुलसी जैसे लोग दिमाग में था बचपन में | पढ़ती थी फणीश्वर नाथ रेणु पटना
में कहीं रहते हैं | मिल गया उनका पता किसी पत्रिका में | बस लिख मारा खत उन्हें |
आज याद करती हूं तो स्मित मुस्कान आती है चेहरे पर | क्या निश्चिन्त बचपन था आज
नहीं दिखता मुझे कहीं | खत का मूल याद है मुझे - आप शहर में रहते हैं और आपकी
पत्नी कितने कष्ट से रहती है गांव में |
उत्तर का थोड़े
न इन्तजार था | बस उलाहना थी एक साहित्यकार के प्रति | आया भी नहीं उत्तर क्योंकि
मैंने नाम और पता थोड़े न लिखा था भेजनेवाले का |