Friday, January 30, 2015

Continuous WAR


31 January 2015
12:13

-Indu Bala Singh

Life is nothing
But
Tug of war
Between 
Heart & Brain .

Wednesday, January 28, 2015

TEACHER / STUDENTS - 2


29 January 2015
07:27
-इंदु बाला सिंह

' टीचर ! आप आजकल बहुत बढ़ गये हैं | '
' मैं आगे से बढ़ी हुयी हूं | तू आजकल बढ़ रहा है | देखना तेरी बहन मिलेगी न मुझे स्कूल में सब कहानी बताउंगी तेरी | '
' अरे टीचर ! नहीं नहीं .... नहीं टीचर !......नहीं नहीं | '

TEACHER / STUDENTS -1


29 January 2015
07:25
-इंदु बाला सिंह

' टीचर ! आप आजकल बहुत बढ़ गये हैं | '
' तेरे से कम | तू जितना लाईन मारा है न ....'
' अरे टीचर ! बस बस | '
' इस उमर तक मैंने किसीको लाईन नहीं मारी ...'
' अरे टीचर ! बस बस | ' 

Saturday, January 24, 2015

Simplicity pays


25 January 2015
06:47
-Indu Bala Singh

O dear !
Simplicity pays
It brings success
Because
It's road is made with concrete of Truth & coal tar of Hard work
Where
You
 Drive your caaar
Feel the fragrance of your journey through open Window .

Thursday, January 15, 2015

Lonely ISLAND


12 January 2015
21:15
-Indu Bala Singh


All the relations bloom
By
Money and positive thought ……..
Otherwise
We all are lonely ISLAND .

Wednesday, January 7, 2015

Lakshmee Bayee is alive


06 September 2014
10:35

-Indu Bala Singh

How can you
Feel
So disheartened
Lakshmee Bayee  is still alive
O my son !
You are not a Lonely warrior .

सीनियर सिटिजन


14 November 2014
07:10
-इंदु बाला सिंह


सीनियर सिटीजन के नाम पर मन जीतने की कोशिश करना व्यर्थ है आपका क्योंकि हमने बिठा रखा है देश के शीर्ष पदों पर बुजुर्गों को | माना शारीरिक श्रम कर पाने में आप  कुछ कम होंगे पर मानसिक श्रम , बल , अनुभव , क्षमा जैसे अपने गुण क्यों छुपाना चाहते हैं ? कहानी ही नहीं सुनना है हमें आपसे आप स्वयं एक आदर्श कहानी  है हमारे लिये | निरीह न बनिये किसी के पास महोदय ! आप अपने घर के युवा सदस्यों की शान हैं प्रकाश स्तम्भ हैं | आपसे हमने सीखा है हमने अपने मुहल्ले में सम्मान से जीना और अपने अस्तित्व के लिये लड़ना | जगिये और जगाईये ओ सीनियर सिटिजन ! और जगाईये आग हम बच्चे व बच्चियों में  सम्मानजनक जीवन जीने की आग |

छात्र का उलाहना


21 November 2014
20:36
-इंदु बाला सिंह

स्कूल के दिनों में फणीश्वर नाथ रेणु की पत्नी का एक चित्र दिखा मुझे धर्मयुग में और दुःख हुआ | पढी थी परती परिलोक कथा | साहित्यकार मतलब कबीर तुलसी जैसे लोग दिमाग में था बचपन में | पढ़ती थी फणीश्वर नाथ रेणु पटना में कहीं रहते हैं | मिल गया उनका पता किसी पत्रिका में | बस लिख मारा खत उन्हें | आज याद करती हूं तो स्मित मुस्कान आती है चेहरे पर | क्या निश्चिन्त बचपन था आज नहीं दिखता मुझे कहीं | खत का मूल याद है मुझे - आप शहर में रहते हैं और आपकी पत्नी कितने कष्ट से रहती है गांव में |

उत्तर का थोड़े न इन्तजार था | बस उलाहना थी एक साहित्यकार के प्रति | आया भी नहीं उत्तर क्योंकि मैंने नाम और पता थोड़े न लिखा था भेजनेवाले का |

O enemy !


23 November 2014
22:11. 14

-Indu Bala Singh

O my dear !
My dear enemy
I love you
You have made me warrior
I eat and sleep on my horse
Thank you a lot
For making me smart .

Mother Devaki


24 November 2014
18:25
-Indu Bala Singh

How can you forget Devaki
&
Remember only Jshoda
Even  if you have adopted a  Krishna
I love you Devaki
O  respectable mother !
Of 
A great citizen Krishna .

death



-Indu Bala Singh 

when i will be no more 
my near and dear who had kicked me 
will sing songs
praise my struggle 
pray for the peace of my soul 
but 
i will not be there to 
kick them back 
for their falsehood.

I do not love you


27 November 2014
21:23
-Indu Bala Singh

Dear life
Why did not teach me lessons
Of life
In proper time
Was I your enemy
Or
Were you are partial
You simply do favor to boys
I do not love you .

Thank you


28 November 2014
09:48
-Indu Bala Singh

Thank  you
My hurdles
You make me strong
To run fast
In the race of life .