Friday, September 19, 2014

बैचेलर्स


19 September 2014
16:28

-इंदु बाला सिंह

' अरे यार दिवाली में घर जाना जरूरी है | '

ये लो सभी को मिल गयी छुट्टी दिवाली में घर जाने की पर बैचेलर्स को नहीं |

बैचेलर्स का घर तो होता नहीं |

अरे भई ! इतना भी नहीं समझते आप क्या ! ब्याह होगा तब न घर होगा |

बैचेलर्स दो दो शिफ्ट काम कर रहे हैं |

अरे ! तो क्या हुआ तनख्वाह भी तो मिल रही है न दो शिफ्ट की |

मेस का खाना भी सब साहब आयेंगे ड्यूटी पर तब न बनेगा त्यौहार का अच्छा वाला | अभी ऐसे ही चला लीजिये सर !

सूनी बिल्डिंग में टी० वी० में मस्त हैं बैचेलर्स |

सबका बोझ उठाते हैं बैचेलर्स |

वैसे पार्टी वैगरह में सर के बच्चों के अच्छे मित्र भी होते हैं बैचेलर्स |

कितने प्यारे प्यारे अच्छे जीवधारी होते हैं बैचेलर्स |




No comments:

Post a Comment