Indu's World
Saturday, August 31, 2013
अग्नि पुंज
मैं अग्नि पुंज हूं
तू क्या तोड़ेगा मुझे
तोड़
डालुंगा
तेरा
ही
चक्रव्यूह
तू
देखना
एक
दिन
अपने
युद्ध
-
पराक्रम
से
दुश्मनों
को
चकित
कर
दुंगा
एक
ऐसा
सूर्य
बन
कर
चमकुंगा
कि
सहस्त्रों
निहारिकायें
भस्मीभूत
हो
जायेंगी
माना
कि
वक़्त
आजमाने
को
है
आतुर
नवल
उसे
भी
चौंका
कर
ठहरने
को
मजबूर
कर
दूं
!
ऐसा दृढ़ विश्वास है
|
* NAVAL
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