Saturday, September 7, 2024

Father

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#indu_bala_singh


A trainee doctor is raped in her workplace 


A father read on newspaper …


He is 


CONFUSED 


HORRIFIED 


ASHAMED 


HUMILIATED


He is thinking ……


What kind of society is this for  my children .


#indubalasingh #poem

Friday, February 21, 2020

#thoughts

“ जिसने खुद पे हंसना सीख लिया , उसने जीना सीख लिया । “


IBS. 

Friday, February 1, 2019

लड़की आपकी भाग्यविधाता है ।

- इंदु बाला सिंह

लड़की सरस्वती है , लक्ष्मी है , काली और दुर्गा है । वह पूजनीय है । बस वह इंसान नहीं है । वह स्वर्ग से उतरती है आपको सुकून पहुंचाने को पर अगर वह आपसे रुष्ट होती है तो आपका नुकसान कर जहां से आयी थी वहीं चली जाती है ।
बेटी अगर आपके भाग्य में है तो उसे कोई नहीं मार सकता । इसलिये बेटियों से सम्बंधित सारे कानून अपने पॉकेट में  ही रखें ।

Sunday, January 27, 2019

Lovely HEART

- Indu Bala Singh

Heart never obeys

Neither it gets conditioned ...

Heart creates it's own ocean

either.. ocean of LOVE or of HATE and swims in it  ...

The moment it dies ... BRAIN becomes machine gun ...

We must never lose our  heart .



Saturday, November 3, 2018

परिवर्तन भी ऑक्सीजन है

परिवर्तन भय की जननी है और निडरता की भी ।
जितनी आग रहेगी लगन की मन में उतनी ही ज्यादा निडरता भय पर हावी होती  जायेगी । परिवर्तन हववके बहाव को बूझते अपनी चाल में स्थिरता व तेजी लाती जायेगी ।

परिवर्तन और सूर्योदय किसी के रोके न रुका है और न रुकेगा । समझदार व्यक्ति परिवर्तन का स्वागत खुले दिल से करता है ।


Wednesday, October 24, 2018

लिपि का धागा

-इंदु बाला सिंह

क्या ही अच्छा होता अगर भारत की सभी भाषायें देवनागरी लिपि में लिखी जातीं । भाषायें तो समझ आती हैं पर उन्हें पढ़ने के लिये उसकी लिपि को जानना जरूरी होता है । आखिर कितनी लिपियों को सीख जाये । उदाहरण के लिये बंगाली साहित्य पढ़ने के लिये बंगाली लिपि पंजाबी साहित्य के लिये पंजाबी साहित्य पढ़ने के लिये गुरुमुखी , ओड़िया साहित्य के लिये ओड़िया लिपि इत्यादि ।

देवनागरी लिपि में लिखा विभिन्न क्षेत्रीय साहित्य पूरे भारत को एक विचारधारा में बांध सकता है ।
अब आप कहेंगी भला उत्तरभारतीय दक्षिण भारतीय बोली नहीं समझ पाता तो देवनागरी लिपि में लिखा साहित्य क्या खाक समझेगा । पर दक्षिण भारत में रहनेवाले उत्तरभारतीय बोलचाल की भाषा तो समझ ही लेते हैं ।

इसवक्त हिंदी या अंग्रेजी छोड़ कर पूरे भारत
को बांध पानेवाली कोई भाषा मुझे सुझाई नहीं देती । मतलब या तो विभिन्न भाषाओं को हम देवनागरी लिपि में लिखें या लैटिन लिपि में ।
अब अंग्रेजी के जानकार आखिर कितने है ?
कुछ मित्रों को लगेगा कि इस तरह तो उन भाषाओं की लिपि का अस्तित्व मिट जायेगा ।
पर मुझे ऐसा नहीं लगता । मुझे नहीं लगता कोई बंगाली अपना साहित्य देवनागरी लिपि में पढ़ कर सन्तुष्ट होगा पर दूसरे क्षेत्र के निवासी देवनागरी लिपि का बंगाली साहित्य पढ़ लेंगे  ।

Tuesday, October 2, 2018

Give your time

My time is my wealth . When I give my time for someone I give my money to that person . And this money will never return .

I get pleasure in giving my time to my loved ones .