फेसबुक ( न्यूज पेपर ) और ट्रांज़िस्टर से ज्ञान प्राप्त करना ज्यादा बेहतर है ।
टी ० वी ० अगर खुल जाय तो बंद करना मुश्किल हो जाता है ।
अपना पसंदीदा कार्यक्रम तो हम कम्प्यूटर के टी ० वी ० पर भी देख सकते हैं ।
शायद यही कारण है आज नेट और कम्प्यूटर के फैलाव का , वैसे रेडियो ( ट्रांज़िस्टर ) तो सदा बहार है । रेडियो हमें खींच कर अपने सामने नहीं बैठाता ,बल्कि यह हमारे साथ साथ किचेन , स्टडी टेबल , लॉन , सड़क इत्यादि जगहों पर चलता रहता है ।
रोटी की कीमत युवा व युवतियों को तब मालूम होती है जब वे घर से दूर नौकरी करने जाते हैं |मेस काखाना कम पैसों में मिलता है पर होटल का खाना तो पूछिये इतना मंहगा कि जेब खाली हो जाय | तब याद आती हैं घर की सूखी रोटियां |
सूखी रोटी आलू के चोखा से हम खायें या पनीर की सब्जी से पेट भर जाता है | रोटी तो केवल दूध के साथ बड़े प्यार से बचपन से खाते हैं बच्चे |
हाय रे ! नौकरी तूने याद दिला दी बचपन की सूखी रोटियां मैं लाख भूलना चाहूं पर अकेले में मुझे सुस्ताते देख चुपके से नजानें क्यों लुढ़कती हुयी आ जातीं हैं जेहन में माँ के हाथ की सूखी रोटियां |
Dear mathematician ! Couldn't you make easy questions ? A class six student wrote on her book And forgot ....... The maths teacher was shocked to see the note On her student's book .