Thursday, January 14, 2016

Warmth of money



- Indu Bala singh


Money is respectful
Keep it with you
See it's beauty
And
Feel it's warmth
Respect will be in your pocket
Relatives and friends will be with you .

Wednesday, January 13, 2016

हरिवंश राय बच्चन - ' नीड़ का निर्माण फिर '

" मैं पेशेवर गद्य-लेखक की कल्पना कर सकता हूं पर पेशेवर कवि की नहीं । " 


हरिवंश राय बच्चन राय बच्चन ( नीड़ का निर्माण फिर )



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मेरी अस्थियों को 
चाहे गंगा की धारा में प्रवाहित कर दो 
चाहे घूरे पर फेंक दो ,
मेरे लिये कोई फर्क नहीं पड़ेगा :
पर तुम्हारे लिये पड़ेगा ।
- हरिवंश राय बच्चन राय बच्चन ( नीड़ का निर्माण फिर )

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' एकांत संगीत ' श्रृंखला में 65 वां
जुये के नीचे गर्दन डाल !
देख सामने बोझी गाड़ी,
देख सामने पंथ पहाड़ी ,
चाह रहा है दूर भागना , होता है बेहाल ?
तेरे पूर्वज भी घबड़ाये ,
घबराये , पर क्या बच पाये
इसमें फंसना ही पड़ता है , यह विचित्र है जाल !
यह गुरु भार उठाना होगा ,
इस पथ से ही जाना होगा ;
तेरी खुशी नाखुशी का है नहीं किसी को ख्याल !
जुये के नीचे गर्दन डाल |
read in ' नीड़ का निर्माण फिर '

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' मेरे अध्ययन कक्ष में तुलसीदास के चित्र के अतिरिक्त एक मात्र चित्र मेरे पिताश्री का है - शीशे से जड़ा , तुलसी के चित्र के साथ रखा | कोई मेरे अध्ययन कक्ष में आये तो मैं दोनों चित्रों का परिचय इस प्रकार देता हूं - ये मेरे पिता , ये मेरे मानस पिता |
बरसों हो गये पिताजी का चित्र एक बार गिर गया था और उसका शीशा चटख गया | मैंने जानबूझ कर वह शीशा नहीं बदलवाया | उस चटख को - क्रैक को - मैं उस घाव के प्रतीक के रूप में देखता हूं जो मैंने उनकी छाती पर दिया था | अपने अपराध को संस्मरण करने से मन पवित्र होता है , ऐसा सही या गलत मैं कहीं समझे हुये हूं | '
' मेरे अध्ययन कक्ष में तुलसीदास के चित्र के अतिरिक्त एक मात्र चित्र मेरे पिताश्री का है - शीशे से जड़ा , तुलसी के चित्र के साथ रखा | कोई मेरे अध्ययन कक्ष में आये तो मैं दोनों चित्रों का परिचय is प्रकार देता हूं - ये मेरे पिता , ये मेरे मानस पिता |
बरसों हो गये पिताजी का चित्र एक बार गिर गया था और उसका शीशा चटख गया | मैंने जानबूझ कर वह शीशा नहीं बदलवाया | उस चटख को - क्रैक को - मैं उस घाव के प्रतीक के रूप में देखता हूं जो मैंने उनकी छाती पर दिया था | अपने अपराध को संस्मरण करने से मन पवित्र होता है , ऐसा सही या गलत मैं कहीं समझे हुये हूं | '

- हरिवंश राय बच्चन ( नीड़ का निर्माण फिर )



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' मानव संबंध बना बनाया नहीं मिलता ।  जो मिलता है  बीज रूप में । फिर उस संबंध को सींचना - सेना  पड़ता है । पिता माता संतान अथवा  भाई बहन के संबंध भी अगर सींचे सेये न जायें तो वे कमजोर और विकार -ग्रस्त हो जाते हैं । '

- हरिवंशराय बच्चन (नीड़  का निर्माण फिर ) 



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‪#‎हरिवंश_राय_बच्चन‬
' आगरा के विनोदी कवि पं ० हृषीकेश चतुर्वेदी ने खेल खेल में एक दिन पत्नी पर लगे इस धर्म के ताले को तोड़ दिया । कहने लगे , धर्म-पुत्र वह है जो तन - जात पुत्र न हो , पर उसे वात्सल्य के कारण पुत्र मान मान लिया गया हो । इसी प्रकार धर्म - बंधु या धर्म - बहन उसे कहते हैं जो अपना असली भाई या बहन न हो।, बल्कि जिसे स्नेह - संबंध से भाई या बहन मान लिया गया हो । इसी तरह धर्म - पत्नी वह है जो अपनी पत्नी न हो , पर उसे किसी संबंध से पत्नी मान लिया गया हो । '


- हरिवंशराय बच्चन (नीड़ का निर्माण फिर )



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' मैं कभी किसी क्लब वगैरह का सदस्य नहीं बना , किसी कला साहित्य संस्था का भी नहीं । अलबत्ता अगर कोई मुझे निमंत्रित करती तो मैं उसमें सहर्ष भाग लेता । संस्थायें किसी न किसी सिद्धांत से बंधती हैं - मैं अपने को किसी सिद्धांत से बांधना नहीं चाहता था । मैं अब भी समझता हूँ कि मुक्त दृष्टि कलाकार की पहली आवश्यकता है । और यह भी कि बौद्धिक विकास और सृजन , समूह में नहीं , एकांत में ही सम्भव है । '

- नीड़ का निर्माण फिर  ( हरिवंश राय बच्चन ) 

Monday, January 11, 2016

Go on resisting


11 January 2016
15:00

-Indu Bala Singh


Dear single daughter !
Resist …… go on resisting  till  your  last  breath
Otherwise  you will  be killed morally
You may  be killed  physically 
Resist on road
Resist  in  home
You are not going  to  get any  help 
As you are surrounded  by male  dominating  men and  women .