मेरे पिता व माता अपने मित्रों से कहते थे कि मेरी बेटी लिखती है कविता ...खुश होते थे ...पर समय पर किसी का बस नही ....कालेज डेज में कहते थे ..लिखती रहोगी तो एक दिन बहुत अच्छा लिखोगी ...
चलिए फेसबुक के साथ साथ हाथ में कलम आयी ....बस लिखते हैं हम अपने अनुभव
बस यूं ही याद आया अपना बचपन ...
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