05 May
2014
10:55
कल
से इग्नू बी० एड० वर्कशाप शुरू हुआ
दो दिन पहले
से ही प्रशिक्षणार्थियों का ठहरने के लिए ठिकाने की तलाश आज जारी हो गयी थी ....
इग्नू
बी० एड० की जितनी प्रशंषा की जाय उतना कम
है .... दूर दराज से किसी तरह मिली नौकरी को बचाने हेतु सिक्स्थ पे कमिशन का सुखद
स्वप्न लिए आते है क्लास करते हैं ....वर्कशाप अटेंड करते हैं भीषण गर्मी में | महिलाएं
सास व पति के साथ छोटे बच्चे लिए रहने का ठिकाना दूंढती हैं ....कितना कठिन है
बच्चे के साथ पढाई | बच्चे बड़े हैं ..माएं पढ़ रही हैं गर्मी की छुट्टी में ....यह
देख दुःख होता है ....सोंचती हूं ...क्या सोंच है लड़की के माता पिता की ....आधा
पढाई करवा के ब्याह देते हैं बिटिया | उसका पति चाहेगा तो पढ़ायेगा न .... मुझे यूं
लगता है कि लडकी एक छात्रा है कक्षा की .... वह मैके की कक्षा से ससुराल की कक्षा
में भेज दी जाती है पढाई के लिए .... वर्षों पहले मेरे करीब एक परिवार आया था ...लड़की
बी० एड० रेगुलर की और परीक्षा दी | परीक्षा के बाद उसका ब्याह हो गया | ससुराल
वाले खुश थे |
एक माह बाद
रिजल्ट आया ...लड़की परीक्षा में फेल थी | चिट्ठी आयी दामाद की ..कृपया लड़की ले जा
कर उसे फिर से बी० एड० की परीक्षा दिलवा दें ....पर लड़की के पिता बेटी ब्याह गंगा
नहा चुके थे ... और भला किसे पता चलेगा यहाँ कि उनकी बिटिया फेल हो गयी है ...
दामाद दुखी हुआ ..दुःख झेल गया ...और उसकी पत्नी आजीवन बी० एड ० फेल रही |
लड़की को पैतृक
संपत्ति से हीन कर पिता कितने निष्ठुर हो जाते हैं यह एक छोटा सा उदाहरण है |
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